करीब आठ माह की स्वस्थ बच्ची यदि सड़क पर मिले, कोई महिला चाईल्ड लाइन को फोन करके उसकी जानकारी दे और आस-पड़ौस में इस बारे में किसी को कुछ न पता हो तो मामला संदेहास्पद लगता है। लेकिन यदि इससे किसी अबोध की जान बच जाती है तो महिला का वही कदम स्वागत योग्य कहलाता है, जैसा कि हरदोई में हुआ।
बाल कल्याण समिति, हरदोई ने पा-लो ना को बताया कि गांव बद्दापुर, पिहानी पुलिस स्टेशन एरिया से एक महिला ने चाईल्ड लाइन 1098 को फोन करके बताया कि उन्हें एक बच्ची सड़क किनारे रखी मिली है। चाईल्ड लाईन ने बच्ची को शाम करीब चार-साढ़े चार बजे रेस्क्यू किया और देर शाम सात बजे बाल कल्याण समिति के सामने प्रोड्यूस किया गया। बच्ची करीब आठ महीने की है और पूरी तरह स्वस्थ है। उसे मेडिकल चैकअप के बाद अगले ही दिन चाईल्ड केयर इंस्टीट्यूट, लखनऊ भेज दिया गया। बाल कल्याण समिति के मुताबिक पहनावे से बच्ची किसी गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार की लग रही थी।
समिति की लोगों से अपील है कि बच्चों को त्यागने की बजाय सौंप दें। त्यागने से बच्चों की जान जोखिम में पड़ जाती है। समिति ने ये भी बताया कि उस क्षेत्र में जागरुकता कार्यक्रम काफी चलाए गए हैं, संभवतः इसी का परिणाम है कि महिला ने चाईल्ड लाइन को फोन कर बच्ची को उसकी जानकारी दी।
टीम पा-लो ना को लगता है कि बच्ची शायद महिला के किसी परिचित या रिश्तेदार की रही होगी। जो बच्ची को पालने में किसी कारणवश असमर्थ हों और बच्ची की सुरक्षा भी चाहते हों, इसलिए बच्ची के सड़क किनारे मिलने की कहानी गढ़ी गई। ऐसा नहीं होता तो उस बच्ची के बारे में गांव के अन्य लोगों को भी कुछ जानकारी अवश्य होती। अगर यही सच है तो उस परिवार और उनकी मदद करने वाली महिला का ये कदम स्वागत योग्य है। उन्होंने बच्ची को त्यागने की बजाय सौंपने का विकल्प चुना, भले ही वे सामने आने का साहस नहीं कर सके। जागरुकता कार्यक्रमों के जरिए बच्चों को सौंपने संबंधी लोगों के मन में बैठे हुए डर को दूर करना भी जरूरी है।
13 अगस्त 2018 हरदोई, उत्तर प्रदेश (F)