क्या हुआ –
करीब 3-4 दिन की एक बच्ची आरोग्यम हॉस्पिटल से बघमनवा जाने वाले रास्ते पर झाड़ियों में
मिली। प्रत्यक्षदर्शी श्री रवि साहू मॉर्निंग वॉक से लौट रहे थे कि रास्ते में उनकी
पड़ोसन सुनीता देवी ने उनका ध्यान हल्की हल्की आवाजों की तरफ दिलवाया, जो करीब से ही आ
रहीं थीं। आवाज की दिशा में बढ़ने पर उन्हें नवजात बच्ची झाड़ियों में मिली। रवि के
अनुसार, वह पेट के बल पड़ी थी और उसके पूरे शरीर पर एक से डेढ़ हजार चींटियां चिपटी हुई
थी। वे दोनों तुरंत उस बच्ची को चींटियां हटा कर अपने घर ले आए। उसे साफ किया और दूध
पिलाया।
फिर वे उसे अस्पताल लेकर गए, ताकि उसे तुरंत मेडिकल केयर उपलब्ध करवा सकें। इसके लिए भी
उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। पहले रवि अपनी मां और सुनीता देवी के साथ ही सरकारी
डॉक्टर आलोक तिवारी के निजी क्लीनिक में बच्ची को लेकर गए, लेकिन उनके शहर से बाहर होने
की वजह से वह बच्ची को डॉक्टर विजय भारती के निजी क्लीनिक में ले गए, जहां डॉक्टर भारती
ने बच्ची को देखने से इनकार कर दिया। बच्ची की स्थिति देखते हुए उन्होंने उसे तुरंत
रांची ले जाने की हिदायत दी, लेकिन खुद उसे फर्स्ट एड देना भी मुनासिब नहीं समझा।
इसके बाद रवि, अपनी मां और सुनीता देवी के साथ उस बच्ची को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे,
जहां अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर जितेंद्र ने डॉक्टर विजय भारती से पूछकर ही बच्ची
को प्राथमिक उपचार दिया। इसी दौरान रवि साहू ने गढ़वा बाल कल्याण समिति को बच्ची के
मिलने की सूचना दी, जिस पर समिति ने रवि से ही रातभर बच्ची रखने का अनुरोध किया। इसके
पीछे मुख्य वजह ये थी कि सदर अस्पताल पर न रवि साहू और न ही गढ़वा बाल कल्याण समिति को
विश्वास था कि बच्ची वहां सुरक्षित रह सकेगी। रात भर बच्ची श्री साहू के पास रही और
सुबह बाल कल्याण समिति ने बच्ची को अपनी सुपुर्दगी मे लिया।
सरकारी पक्ष –
बाल कल्याण समिति के श्री उपेंद्र नाथ ने पालोना को बताया कि बच्ची की प्राथमिक जांच के
बाद उसे पलामू शिशु गृह भेज दिया गया है। बच्ची को कोई विशेष चोट या घाव नहीं था। वह
स्वस्थ प्रतीत हो रही थी। वहीं शिशु गृह के श्री पंकज ने बताया कि बच्ची को सरकारी
ड़ॉक्टर को दिखा दिया गया है। कोई मेडिकल कॉम्प्लीकेशन नहीं है। मेडिकल टैस्ट के सवाल
पर उन्होंने अपनी मैनेजर पूजा से भी बात करवाई, जिन्होंने बताया कि बच्ची के सभी मेडिकल
टैस्ट हो चुके हैं। उसे एक दिन के लिए भी डॉक्टर ने एडमिट नहीं किया।
पा-लो ना का पक्ष –
पालोना ने इस घटना के संबंध में बाल कल्याण समिति के श्री उपेंद्र और शिशु गृह के
संचालक श्री पंकज से बातचीत की तो महसूस हुआ कि उन्हें बच्ची के बारे में या तो पूरी
जानकारी नहीं है, या कुछ छुपाया जा रहा है। हजारों चींटियों के बच्ची से लिपटे होने के
बावजूद अगले कुछ दिन तक उसके मेडिकल टैस्ट नहीं करवाए गए थे, जबकि तस्वीरों से बच्ची के
चेहरे पर सूजन साफ नजर आ रही है। उनके मुताबिक बच्ची को दो-चार जगह ही चींटियों ने काटा
था।
इसके अलावा डॉक्टर भारती के गैरजिम्मेदाराना रवैये का भी पालोना विरोध करता है।
असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर हालातों में मिले नवजात शिशुओं के लिए एक पल की देरी भी
जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में यदि बच्ची को कुछ हो जाता तो क्या डॉक्टर भारती उसकी
जिंदगी लौटा पाते। क्या उन पर मेडिकल नेग्लीजेंस का केस नहीं होना चाहिए।
वहीं श्री रवि साहू व श्रीमती सुनीता देवी के प्रति पालोना कृतज्ञ महसूस करता है कि
उनकी तत्परता और संवेदनशीलता ने एक नवजात का जीवन बचा लिया। उन्होंने समाज के प्रति
अपना दायित्व पूरा किया और इंसानियत का नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया, लेकिन बच्ची के
बेहतर इलाज को लेकर हम सशंकित हैं। यदि उसे सही ईलाज नहीं मिला तो इतनी चींटियों का जहर
भविष्य में बच्ची को नुकसान न पहुंचा दे।
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01 June, 2019 Garhwa, Jharkhand (F, A)