वह कचरे के ढेर में पड़ा था। इस बार लड़का था, कपड़े में लपेटा हुआ था। एक पॉलीबेग में बंद। गर्भनाल भी साथ ही जुड़ी थी। मगर इससे पहले कि जानवर उसे सूंघते हुए उस तक पहुंचते, उसका मददगार उस तक पहुंच
गया। एक सफाईकर्मी, जिसने उसके रोने की आवाज सुनी। घटना शनिवार सुबह की है। भुवनेश्वर स्थित सैनिक स्कूल के पास कचरे के ढेर पर एक नवजात शिशु को देखकर वह सफाईकर्मी दंग रह गया। पता नहीं, बच्चा कब से
वहां था। राहत की बात यही थी कि बच्चा कपड़े में लिपटा था, जिसने उसे ठंड से बचा लिया। बच्चे के रोने की आवाज सुन उसने जैसे ही वह बैग खोला, बच्चे को देखा और शोर मचाकर आस-पास के लोगों को इकट्ठा कर
लिया। तुरंत ही पीसीआर वैन को फोन किया गया और बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। ऐसी भी सूचना है कि ईलाज के लिए पहले डॉक्टर्स ने 75 हजार रुपये की मांग की, लेकिन लोगों द्वारा निवेदन करने
के बाद वे उसके इलाज के लिए मान गए। बच्चे की स्थिति बहुत क्रिटिकल है। लंग्स में इन्फेक्शन है और मुंह से खून आ रहा है। फिलहाल वह अपोलो के स्पेशल वार्ड में दाखिल है। चाइल्डलाईन की टीम बच्चे की देखरेख में
लगी है। घटना की जानकारी पत्रकार रवि रणवीरा से मिलने के बाद सीडब्लूसी भुवनेश्वर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले में वे पुलिस पर आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज करवाने का दबाव बना
रहे हैं। इतने छोटे बच्चे को असुरक्षित माहौल में फेकना उसकी जान जोखिम में डालना ही है। इसलिए इसे हत्या का प्रयास ही माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पहले भी ऐसे दो मामलों में वह धारा 307 लगवा
चुके हैं और मीडिया में उसके प्रचार प्रसार का फायदा ये मिला था कि करीब डेढ़-दो साल तक इस तरह की घटनाएँ उस एरिया में नहीं हुईं थीं।
16 दिसंबर 2017भुवनेश्वर, उड़ीसा (M)