क्या हुआ –
एक नवजात बच्ची सिमरी थाना क्षेत्र अंतर्गत राजापुर एवं नियाजीपुर के बीच भैंरों स्थान
के पास झाड़ियों मिली। रात का समय था, जब उसके रोने की आवाज ने राहगीरों का ध्यान
खींचा। जाकर देखा तो वह कंटीली झाड़ियों में अपनी गर्भनाल के साथ मौजूद थी।
कांटों की वजह से उसके शरीर, होंठ, नाक, आंखों आदि पर खरोंच के निशान थे। किसी ग्रामीण
परिवार ने उसे उठा लिया और अपने पास ही रख लिया। दो दिन बाद 10 सितंबर की सुबह नौ-दस
बजे के आसपास वे थाने में बच्ची को लेकर गए कि उन्हें बच्ची कानूनी रूप से सौंप दी जाए।
थाने ने तुरंत डुमरांव चाईल्डलाईन को सूचित किया और 10 तारीख को ही चाईल्डलाईन ने बच्ची
को बक्सर मुख्यालय लाकर सदर अस्पताल की स्पेशल यूनिट में भर्ती कर दिया। फिलहाल बच्ची
वहीं अंडर ऑब्जर्वेशन है।
सरकारी पक्ष –
“बच्ची को कपड़े में लपेटकर ही झाड़ियों में डाला गया था,
लेकिन वे झाड़ियां कंटीली थीं। जिससे उसके शरीर पर खरोंच लग गई है। उसके सब टैस्ट हो
चुके हैं। कोई इन्फेक्शन नहीं मिला है। एहतियातन उसे अस्पताल में रखा गया है। ग्रामीणों
ने अच्छा काम यह किया कि उसका वैक्सीनेशन करवा दिया था और प्राथमिक चिकित्सा भी” –
पवित्र कुमार, चाईल्डलाईन बक्सर
“बक्सर में पिछले एक महीने में ये चौथा मामला है, जब
नवजात बच्ची लावारिस अवस्था में मिली है। इनमें से एक बच्ची को आरा शिशु गृह भेज दिया
गया है, एक बच्ची की मौत हो चुकी है और एक अभी भी सदर अस्पताल में इलाजरत है। ये बहुत
दुखद है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान बक्सर में दम तोड़ रहा है। यहां कोई केस भी
कभी दर्ज नहीं होता है। यह बात मीडिया द्वारा एसपी के संज्ञान में लाई गई है।” –
संजय उपाध्याय, पत्रकार
पा-लो ना का पक्ष –
बच्चों के प्रति बरती जाने वाली इस क्रूरता को रोकने के लिए कुछ चीजों पर ध्यान देना
आवश्यक है –
बच्ची को जिस तरह कंटीली झाड़ियों में छोड़ा गया है, ऐसा
लगता है कि उसे वहां छोड़ने वाले की मंशा बच्ची को नुकसान पहुंचाने की ही थी। वरना वे
उसे सुरक्षित स्थान पर भी छोड़ सकते थे।
इस मामले में आईपीसी सेक्शन 317, 307, 34 और जेजे एक्ट 75
के तहत मामला दर्ज होना चाहिए।
पुलिस प्रशासन और सरकारी एजेंसियों की भूमिका स्पष्ट हो
और उन्हें इसकी ट्रेनिंग भी दी जाए।
आम लोगों को जागरुक करने के लिए ज्यादा से ज्यादा
जागरुकता अभियान चलाए जाएं।
जिस भी क्षेत्र में कोई बच्चा लावारिस स्थिति में मिले,
वहां चाईल्ड एक्टिविस्ट और सरकारी एजेंसियां कैम्प लगाएं।
झारखंड का पड़ौसी स्टेट होने के बावजूद यहां बच्चियों के
प्रति दुराग्रह साफ नजर आता है। यहां लावारिस अवस्था में मिलने वालों में लड़कियों की
संख्या अधिक होती है। इसलिए राज्य में व्यापक रिसर्च करवा कर उसके कारणों को खोजना
चाहिए।
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08 September, 2019 Buxar, Bihar (F, A)