रात 11 बजे का समय था, जब एक छोटे बच्चे के रोने की आवाज ने स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा। इतनी रात में कौन बच्चा रो रहा है, ये जानने के लिए कौतुहलवश जब कुछ लोग वहां पहुंचे तो झाड़ियों में एक नन्हीं सी बच्ची को बेबी रैप में देख उन्हें बड़ा ताज्जुब हुआ। घटना जामताड़ा के बुधुडीह इलाके में स्थित एडवर्ड स्कूल के पास मंगलवार को घटी।
सामाजिक कार्यकर्ता और चाईल्ड वेलफेयर कमेटी तथा अल्पसंख्यक आयोग से जुड़ीं सुश्री बेबी सरकार ने पा-लो ना से बातचीत में बताया कि बच्चों को लपेटने वाले रबड़ और तौलिये वाले कपड़े के रैप में बच्ची थी, जिस पर डॉ. मधु सिन्हा, वात्सल्य हॉस्पिटल, न्यू टाउन, जामताड़ा लिखा हुआ है। बच्ची का जन्म संभवतः इसी अस्पताल में हुआ होगा और डिस्चार्ज के बाद घर जाते हुए बच्ची को वहां रख दिया गया होगा। बच्ची करीब 2-3 दिन की प्रतीत होती है।
स्थानीय लोगों की सूचना पर घटनास्थल पहुंची जामताड़ा थाना पुलिस ने जब उन्हें फोन किया तो उन्होंने सबसे पहले बच्ची को सदर अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया। बच्ची की सुरक्षा सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी था। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। कीड़ों या आवारा जानवरों के उस तक पहुंचने से पहले ही लोगों को उसका पता चल गया था, इसलिए उसे बचाया जा सका। जामताड़ा में कोई एडॉप्शन सेंटर नहीं होने की वजह से बच्ची को देवघर स्थित स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में भेज दिया गया है।
बेबी सरकार के मुताबिक, सरकार के पास योजनाएं तो काफी हैं, मगर वह आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं। लोगों को इसका लाभ मिले, इसके लिए ज्यादा से ज्यादा जागरुकता कार्यक्रम चलाने होंगे। उन्हें विकल्पों की जानकारी देनी होगी, तभी हम इन घटनाओं पर रोक लगाने में कामयाब होंगे।
पा-लो ना का मानना भी यही है कि सरकार ने योजनाएँ तो काफी बना दी, मगर उनका इम्प्लीमेंटेशन प्रभावी तरीके से नहीं हुआ। इसी का नतीजा है कि एडॉप्शन के लिए नहीं देकर लोग अपने बच्चों को छोड़ देते हैं, फेंक देते हैं या मार देते हैं, मगर उन्हें सुरक्षित हाथों में नहीं सौंपते।
06 फरवरी 2018 जामताड़ा, झारखंड (F)