क्या हुआ –
यह घटना भोजपुर के ब्लॉक जगदीशपुर में गुरुवार शाम छह बजे के आसपास घटी। हाटपोखर से भोरही जाने वाले रास्ते से जब अजय कुमार नामक व्यक्ति गुजर रहे थे तो उन्हें पुल के नीचे एक नवजात बच्ची नजर आई। वह लगातार रोए जा रही
थी। उसे न जाने कौन एक कपड़े में लपेटकर वहां सड़क किनारे जमीन पर छोड़ गया था।
अजय ने जगदीशपुर पुलिस थाने को फोन कर बच्ची की सूचना दी। रात होने की वजह से थाना प्रभारी ने बच्ची को चाईल्डलाइन डायरेक्टर के आग्रह पर अपने घर पर ही रख लिया। उन्होंने और उनकी पत्नी रानी ने रात भर बच्ची की देखभाल की
और डॉक्टर को बुलवाकर जरूरी इंजेक्शन व दवाई भी दिलवा दीं। जगदीशपुर थाने ने इस मामले में सनहा दर्ज की है। बच्ची को स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी भेज दिया गया है।
पा-लो ना को घटना की जानकारी चाईल्डलाइन भोजपुर की डायरेक्टर श्रीमती सुनीता सिंह ने दी।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“जिला मुख्यालय से करीब 30-35 किलोमीटर दूर बच्ची मिली है। बच्ची करीब चार-पांच दिन की लगती है, क्योंकि उसकी नाभि सूख चुकी है और वह पूरी तरह स्वस्थ है। उसका वजन तीन किलो है। यह फुल टर्म डिलीवरी
लगती है। रात को ड्राईवर उपलब्ध नहीं होने की वजह से हमने थाना इंचार्ज से बच्ची की देखभाल करने को कहा, जिसे उन्होंने और उनकी पत्नी ने बहुत अच्छी तरह निभाया। आज सुबह जाकर हम बच्ची को ले आए। उसे सदर अस्पताल में डॉक्टर के
परीक्षण के पश्चात एडॉप्शन एजेंसी (सा) भेज दिया गया है।
अनुमान है कि बच्ची का जन्म ऑपरेशन से हुआ होगा। और अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद घर लौटते समय बच्ची को निर्जन स्थान देखकर त्याग दिया गया होगा। यह आस पास के किसी जिले की हो सकती है।” –
श्रीमती सुनीता सिंह, डायरेक्टर चाईल्डलाइन, भोजपुर, बिहार
“पुल के नीचे बच्ची अकेली पड़ी रो रही थी। अजय नामक राहगीर ने बच्ची को अकेले रोते देखा तो हमें फोन किया। हम उसे अपने पास ले आए। उसे एक गंदे से कपड़े में लपेटकर छोड़ा गया था। हमने उसके लिए
नए कपड़े खरीदे। रात को हमारे परिचित डॉक्टर अनिल घर पर आकर ही बच्ची को देख गए और उसे जरूरी इंजेक्शन व दवाई भी दे दी। रातभर हमारी पत्नी रानी ने बच्ची की देखभाल की। सुबह चाइल्डलाइन वाले जब तक पहुंचे, उन्होंने ही बच्ची
की मालिश कर नहलाकर उसे तैयार कर दिया था। इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन सनहा दर्ज की गई है।” –
इंस्पेक्टर शंभु भगत, थाना इंचार्ज, जगदीशपुर, भोजपुर, बिहार
पा-लो ना का पक्ष –
पा-लो ना बच्ची की जान बचाने वाले सभी लोगों के प्रति शुक्रगुजार है। जहां अजय कुमार नामक राहगीर ने बच्ची की समय पर सूचना पुलिस को देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी की, वहीं इंस्पेक्टर शंभु भगत और उनकी पत्नी रानी ने अपने
बच्चे की तरह बच्ची की देखभाल की और डॉक्टर अनिल ने बच्ची को प्राथमिक चिकित्सा दी। चाईल्डलाइन डाइरेक्टर केवल स्टाफ के भरोसे बच्ची को न सौंपकर स्वयं बच्ची को लेने जगदीशपुर पहुंची और उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा। पा-लो
ना का माननाहै कि जो काम बाकी रह गए हैं, उन्हें भी किए जाने की जरूरत है –
इस मामले में प्रथम दृष्ट्या आईपीसी सेक्शन 317 के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
यदि बच्ची की उम्र 5-6 दिन है तो बच्ची को जरूर आसपड़ौस या अस्पताल में किसी ने देखा होगा। इसलिए उसकी तस्वीर भोजपुर के साथ साथ आसपास के जिलों के भी सभी अस्पतालों में भेजी जानी चाहिए।
बच्ची का जन्म किस अस्पताल में हुआ है, यह जानने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थानीय कमेटी की मदद ली जा सकती है।
भोजपुर व आस-पास के जिलों में सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए।
इसके साथ साथ शिशु हत्या व परित्याग के मामले में लगने वाले कानूनी प्रावधानों और सजा के बारे में भी प्रमुखता से आमजन को जागरुक करने की जरूरत है।
स्थानीय बाल संरक्षण अधिकारियों के कॉंटेक्ट नंबर सभी अस्पतालों, जच्चा बच्चा केंद्रों, आंगनबाड़ी केंद्रों व भीड़भाड़ वाले स्थानों पर डिस्प्ले होने चाहिएं।
22 OCTOBER 2020
BHOJPUR, BIHAR (F, A)