आधी रात बीत चुकी थी, जब रोहतक के आर्य नगर इलाके से गुजर रहे एक व्यक्ति ने एक बच्चे के रोने की आवाज सुनी। मौसम बहुत खराब था, बारिश होने को थी और ठंडी हवाएं चल रहीं थीं, ऐसे में बच्चे की आवाज ने उस व्यक्ति को चिंता में डाल दिया। थोड़ा ध्यान देने पर उन्हें सड़क किनारे बच्चा नजर आ गया। उन्होंने बच्चे को उठाया और आस-पास के लोगों को जगा दिया। मामला हरियाणा का है।
रोहतक के सीडब्लूसी अध्यक्ष डॉ. राज सिंह सांगवान ने बताया कि सोमवार की देर रात्रि करीब दो बजे एक बच्चे को जन्म के थोड़ी देर बाद ही चादर में लपेट कर आर्यनगर की गली नंबर एक में रख दिया गया था। एक व्यक्ति, जो वहां से गुजर रहा था, उसने लड़के के रोने की आवाज सुनी और उसे उठा लिया। ऐसा माना जा रहा है कि बच्चे को वहां रखे ज्यादा वक्त नहीं बीता था। बच्चा फिलहाल पीजीआईएमएस के वार्ड 14 में इलाजरत है।
बच्चे की नाल किसी एक्सपर्ट के हाथों ही काटी हुई है, लेकिन वह किसी हॉस्पिटल में नहीं काटी गई है। इसलिए पुलिस और सीएमओ को इंस्टीट्यूशनल डिलिवरीज का एक सप्ताह का विवरण उपलब्ध करवाने और नॉन इंस्टीट्यूशनल डिलिवरीज के बारे में स्थानीय दाई आदि से पता करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज खंगालने और बच्चे के माता-पिता का पता लगाने का भी निर्देश दिया गया है।
रोहतक सीडब्लूसी ने उस व्यक्ति को सम्मानित करने का निर्णय लिया है, जिसने उस बच्चे को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसा करके समाज के अन्य लोगों को भी इस विषय में जागरुक और प्रेरित किया जा सकेगा।
इन घटनाओं को रोकने के लिए क्या करना चाहिए, इस पर डॉ सांगवान कहते हैं कि पोक्सो के तहत बचाई गईं लड़कियों के साथ-साथ उनके परिवार वालों की भी काउंसलिंग करनी चाहिए, ताकि जो बच्चे पैदा हों, उन्हें फेंकने की नौबत नहीं आए।
इसके अलावा, युवा पीढ़ी पर काम करने की, उनकी काउंसलिंग करने की आज की तारीख में बहुत जरूरत है। और केवल युवा पीढ़ी ही नहीं, वरन उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को भी सेंसेटाइज करना होगा, ताकि वे बच्चे में आने वाले व्यावहारिक बदलावों को नोटिस कर सकें। इसके लिए परिवार के साथ-साथ टीचर्स की भी महती भूमिका है।
वहीं, जागरुकता कार्यक्रम व्यापक स्तर पर चलाने होंगे। विलेज लेवल चिल्ड्रेन कमेटीज को सेंसेटाईज करने की जरूरत है। उत्तरी भारत में तो अभी तक हर गांव में ये कमेटी बन ही नहीं पाई है। प्रक्रिया अभी चल ही रही है, जबकि साउथ में हर गांव में ये कमेटी बनाई जा चुकी है।
डॉ. सांगवान मानते हैं कि आज भारत में ऐसा कोई परिवार नहीं है, जो अपने बच्चों का पालन-पोषण न कर सके। अगर कोई परिवार ऐसा होता भी है तो वे चीजें स्ट्रीमलाईन हो जाती हैं।
12 फरवरी 2018 रोहतक, हरियाणा (M)