बीचोंबीच सड़क पर वह पड़ा था, एकदम नग्न हालत में। गर्भनाल लगी हुई, सिर के ऊपर की कुछ चमड़ी हट गई थी, शायद किसी जानवर ने उधेड़ दी थी या किसी गाड़ी के पहिये के नीचे आकर वह हट गई थी। जिस इलाके में मिला, वहां आस-पास एक दो दुकान के अलावा कुछ नहीं है। गर वह ठंड, भूख या दर्द से चिल्लाया भी होगा तो उसकी वह कराह, वह करुण पुकार जंगल में ही गुम हो गई होगी। घटना डालटनगंज पांकी मुख्य सड़क पर पांकी थाना क्षेत्र के अंतर्गत गजबोर कठपुल के पास प्रमोद साईकिल स्टोर से 100 मीटर आगे घटी।
पत्रकार श्री विकास साहू से घटना की जानकारी मिलने के बाद पा-लो ना ने स्थानीय पत्रकार श्री राजू और छात्र नेता कुंदन कुमार सिंह से संपर्क किया और घटना का विवरण जानने का प्रयास किया। कुंदन ने पा-लो ना को बताया कि देर रात किसी ने बच्चे को बीचोंबीच सड़क पर छोड़ दिया था। उन्हें दिन के 11 बजे घटना की सूचना मिली तो उन्होंने पांकी थाने को फोन किया और घटनास्थल पर आने का अनुरोध किया। जिस पर थाने से उन्हें कहा गया कि वे आकर क्या करेंगे, बच्चे को वहीं दफना दो। निर्देश का पालन करते हुए कुंदन ने कुछ अन्य ग्रामीणों की सहायता से बच्चे को वहीं सड़क के किनारे एक खेत में दफ्ना दिया।
अन्य ग्रामीणों के हवाले से कुंदन ने बताया कि उनके इलाके में नर्सिंग होम बहुत हैं। उनमें से ही किसी ने इस घटना को अंजाम दिया होगा। वह इसे भ्रूण हत्या से जोड़कर देख रहे थे। उन्होंने ये भी कहा कि शायद यहां से गुजरते वक्त किसी बाईक या ऑटोसवार ने बच्चे को फेंक दिया होगा। बच्चे के सिर की हटी चमड़ी के बाबत पूछने पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि किसी गाड़ी का पहिया उसे लगा हो।
इस मामले में पा-लो ना को लगता है कि शायद कोई जानवर बच्चे को कहीं और से उठा कर वहां लाकर छोड़ गया हो। ये भी हो सकता है कि कुंदन का अंदेशा सही हो और किसी वाहनसवार ने वहां से गुजरते हुए बच्चे को वहीं बीच सड़क पर छोड़ दिया हो। हालांकि नर्सिंग होम की संलिप्तता इस मामले में नजर नहीं आ रही है। यही बात कुंदन को भी बताई गई। उन्हें बताया कि यह विकसित बच्चा लग रहा है और इस तरह के मामलों में नर्सिंग होम्स की भूमिका नगण्य होती है। शिशु हत्या के कई अन्य कारण हो सकते हैं।
उस मासूम पर ये अत्याचार किसने किया होगा? क्या उसे जीवित ही वहां छोड़ा गया था? क्या वह किसी जानवर का भी शिकार हुआ था?- सवाल अनेक है, और जवाब एक भी नहीं और अब कभी मिलेगा भी नहीं…
पा-लो ना को लगता है कि यदि पुलिस घटनास्थल पर जाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती तो कम से कम बच्चे की मौत का कारण स्पष्ट पता चल जाता। मालूम हो जाता कि ये स्टिलबर्थ का केस है, या जन्म के बाद बच्चे की हत्या की गई है। प्रथम दृष्ट्या आईपीसी सेक्शन 318 के तहत बच्चे के शव को गुपचुप तरीके से रफा-दफा करने का केस तो इसमें बनता ही है।
22 दिसंबर 2018 पलामू, झारखंड (M)