कुएं में से आ रही थी बच्चे के रोने की आवाज
सांपों से घिरा मिला नवजात
24 February 2023, Friday, Badaun, UP
सोमवती अपने खेतों की तरफ जा रही थीं। अचानक उन्हें किसी नवजात बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। उस वक्त वह अपने खेत में बने कुएं के पास थीं। उन्होंने झांका तो उनके होश उड़ गए। कुएं में सांपों से घिरा एक नवजात शिशु था। बच्चे को वहां से निकाल अस्पताल में एडमिट करवाया गया। ग्रामीणों के मुंह पर एक ही बात थी जाको राखे साईयां मार सके न कोय।
कब, कहां, कैसे
पालोना को इस घटना की सूचना दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार से मिली। उन्होंने एक न्यूज रिपोर्ट शेयर की थी। इसके बाद बदायूं की सीडब्ल्यूसी सदस्य श्रीमती सविता और चाइल्ड लाइन समन्वयक श्री कमल शर्मा से संपर्क किया गया। उनसे घटना की डिटेल्स और बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी ली गई।
मिली जानकारियों के मुताबिक बदायूं के फैजगंज बेहटा से स्थित बसोनी गांव में एक नवजात शिशु मिला। यह शिशु शुक्रवार, 24 फरवरी 2023 की सुबह एक सूखे कुएं में मिला।
गांव की महिला सोमवती, पत्नी प्रेमराज ने सबसे पहले उसके रोने की आवाज सुनी। यह आवाज एक कुएं में से आ रही थी, को उनके खेत में बना हुआ था। उन्होंने कुएं में झांक कर देखा तो वहां सांपों के बीच में एक नवजात शिशु मौजूद था।
कुएं में उतरे लोग
सोमवती ने बच्चे को वहां देखकर ग्रामीणों को आवाज दी। सूखे कुएं में सीढ़ी लगाकर कुछ लोग नीचे उतरे। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने देखा कि उस नवजात शिशु के शरीर से सांप लिपटा हुआ है। उसने बच्चे की गर्भनाल का एक सिरा अपने मुंह में लिया हुआ है। किसी तरह गर्भनाल काट कर बच्चे को कुएं से बाहर लाया गया।
पुलिस है कठघरे में
सूचना मिलने के बाद फैजगंज बेहटा के एसओ सिद्धांत शर्मा भी मौके पर पहुंचे। वहां से बच्चे को पहले आसफपुर स्वास्थ्य केंद्र और फिर चंदौसी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
पुलिस ने चाइल्डलइन या सीडब्ल्यूसी को बच्चे की कोई सूचना नहीं दी, ऐसा बदायूं की सीडब्ल्यूसी सदस्य सविता जी ने पालोना को बताया। पुलिस से पूछा गया है कि उन्होंने निश्चित प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया। बच्चे को बदायूं की बजाय चंदौसी के निजी अस्पताल में क्यों भर्ती करवाया।
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पालोना का पक्ष
जाको राखे साईयां मार सके न कोय, बिलकुल यही कहावत चरितार्थ हुई है बदायूं के इस मामले में। ये दैवीय कृपा ही है कि ऊंचाई से कुएं में डालने और सांप से घिरा होने के बावजूद बच्चे को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा।
लेकिन इससे बच्चे के साथ ऐसा बुरा व्यवहार करने वाले का अपराध कम नहीं हो जाता। उसके खिलाफ बच्चे को जान से मारने का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
अच्छी बात यह है कि इस मामले में इनिशिएटिव लेते हुए बदायूं सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन ने आईपीसी सेक्शन 317 के तहत एफआईआर दर्ज कराई है। यह बहुत जरूरी है।
यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि उत्तर प्रदेश में इन मामलों में केस बहुत कम दर्ज होते हैं। इसका स्वागत करना होगा।
पालोना का मानना है कि बच्चे को सबसे पहले इलाज की जरूरत थी, जो कि पुलिस ने सुनिश्चित किया।
बच्चों को इलाज सरकारी अस्पताल में मिल रहा है या निजी अस्पताल में, यह मैटर नहीं करना चाहिए। कागजी कार्रवाई बाद में भी पूरी की जा सकती है।
एक गलती पुलिस से जरूर हुई है कि उन्होंने सीडब्ल्यूसी या चाइल्डलाइन को बच्चे के मिलने की सूचना नहीं दी। उन्हें करना ये चाहिए ता था कि बच्चे को इलाज दिलवाने के बाद सीडब्ल्यूसी या चाइल्ड लाइन में से किसी को भी बच्चे की सूचना देनी चाहिए थी।
उस क्षेत्र में सेफ सरेंडर पर अवेयरनेस करना भी जरूरी है, ताकि भविष्य में वहां कोई भी व्यक्ति बच्चे के साथ इस तरह की घटना को अंजाम ना दे।