क्या हुआ – करीब दो माह की एक बच्ची को 12 जनवरी की सुबह जौनपुर के लाइन बाजार थाने के अंतर्गत कंधरपुर गांव में सड़क किनारे छोड़ दिया गया। इस तरह छोड़ा गया था कि स्कूल जाती एक छात्रा की नज़र उस पर पड़ गई। वह उसे उठाकर अपने गांव ले गई। इसकी सूचना मिलते ही वहां
लोगों की भीड़ लग गई। आम सहमति से बच्ची को संरक्षण के लिए श्री पंकज यादव के परिवार को सौंप दिया गया। बच्ची दो-तीन दिन उनके पास रही। फिर श्री यादव को किसी से पता चल गया कि बच्चे को इस तरह अपने पास रखना अपराध है तो उन्होंने
लाइन बाजार थाने को सूचना दी, जिसके बाद बच्ची को सीडब्लूसी जौनपुर के समक्ष पेश किया गया। बच्ची को मेडिकल परीक्षण के बाद शिशु गृह चंदौली भेज दिया गया।
सरकारी पक्ष – जौनपुर बाल कल्याण समिति अध्यक्ष श्री अनिल यादव ने बताया
कि जिन्होंने बच्ची को छोड़ा, वे उसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे, ऐसा लगता है। पुलिस ने केस डायरी दर्ज कर ली है। एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
पा-लो ना का पक्ष – हमारा भी यही मानना है कि बच्ची को त्यागने वाले ने बच्ची को
त्यागते हुए बड़ी समझदारी बरती, तभी आज वह जीवित है। उन्होंने त्यागने का समय और स्थान सही चुना। देर रात या बहुत सुबह नहीं छोड़ा और न ही किसी निर्जन झाड़ी, तालाब या डस्टबिन में। आशंका है कि लड़की होने की वजह से परिजनों के
दबाव के कारण बच्ची को वहां छोड़ना पड़ा होगा। कभी-कभी पति-पत्नी के बीच कोई शक भी बच्चों के परित्याग का कारण बन जाता है। हकीकत सामने लाने के लिए पुलिस का केस दर्ज करना जरूरी है, जो इस मामले में हुआ नहीं। फिर भी पा-लो ना
शुक्रगुजार है कि परिजनों ने बच्ची को मारा नहीं।
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12 जनवरी 2019 जौनपुर, उत्तर प्रदेश (F)