उस मकान की सबसे निचली सीढ़ी पर कपड़ों की एक गठरी रखी हुई थी। सुबह कूड़े वाला अपना रेहड़ा लेकर आया और उस गठरी को अपने रेहड़े में डालकर जा ही रहा था कि चौंक गया। गठरी हिल रही थी और उसमें से आवाजें आ रही थीं। घटना मुजफ्फरनगर के कोतवाली क्षेत्र के खालापार मोहल्ले की गुल्लर वाली गली में बुधवार को घटी।
पत्रकार श्री अरविंद प्रताप सिंह की सूचना पर जब टीम पा-लो ना ने मुजफ्फरनगर के सीनियर जर्नलिस्ट श्री उज्जवल से संपर्क किया तो उन्होंने पूरा वाकया सुनाया, जो इस प्रकार है-
बुधवार सुबह सवेरे शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला खालापार में एक नवजात बच्ची को किसी ने एक मकान के बाहर बनी सीढ़ियों पर गठरी में बांधकर रख दिया। सुबह सवेरे घरों का कूडा लेने के लिए पहुंचे युवक ने गठरी को घर का कचरा समझकर अपने रेहडे में डाल लिया। गठरी में जब उसे हलचल दिखाई दी, तो उसने गठरी खोलकर देखी, उसमें एक नवजात बच्ची रखी हुई थी। युवक ने मोहल्ले के लोगों को गठरी में बच्ची के मिलने की सूचना दी, जिस पर मोहल्ले के लोग एकत्रित हो गए और उन्होंने बच्ची को गोद में उठा लिया। मोहल्लेवासियों ने बच्ची मिलने की सूचना शहर कोतवाली पुलिस को दी।
सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और बच्ची को जिला महिला अस्पताल में चेकअप के लिए ले गये, जहां पर चिकित्सकों ने बच्ची का चेकअप किया। बच्ची को बुखार और इन्फेक्शन था। उसे जिला महिला अस्पताल में भर्ती कर दिया गया।
पुलिस ने मोहल्ले में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो उसमें हरियाणा के नंबर की एक सैंट्रो कार की पीछे वाली खिड़की से एक महिला सिर बाहर निकालकर बच्ची को सीढ़ी पर रखते हुए नजर आई। इसके तुरंत बाद गाड़ी वहां से रफूचक्कर हो जाती है और बच्ची कौन है, किसकी है, उस घर से क्या संबंध है, कोई संबंध है भी या नहीं ये सारे सवाल अपने पीछे छोड़ जाती है।
इस अनोखे मामले में मुजफ्फरनगर पुलिस ने आईपीसी की धारा 317 के तहत केस दर्ज कर लिया है। कार की नंबर प्लेट से उसके मालिक अफसर नामक व्यक्ति का एड्रैस और कॉल डिटेल्स निकालकर पानीपत के बोपली गांव में शनिवार को रेड डाली गईं, लेकिन घर लॉक्ड Aमिला। फिलहाल जांच और दोषी को पकड़ने के प्रयास जारी हैं। बच्ची की हालत में पहले से सुधार है।
घटना का वीडियो वायरल हो चुका है। लोग उस महिला के साथ साथ रेहड़े वाले को भी दोष दे रहे हैं, क्योकि उसने गठरी के ऊपर रेहड़े का पहिया चढ़ा दिया था।
टीम पा-लो ना का मानना है उक्त महिला ने एक ही वक्त में सही और गलत दोनों काम एकसाथ किए। सही काम ये किया कि बच्ची को कहीं भी फेंकने की बजाय उसे एक घर के आगे रख दिया और वह भी ऐसे वक्त में, जब किसी न किसी की नजर उस पर पड़ ही जाती और उसे बचा लिया जाता, जो कि वास्तव में हुआ भी। लेकिन एक गलती ये हो गई कि बच्ची को इतना नीचे रखा कि यदि जानवरं को उसकी गंध मिल जाती तो उस मासूम के लिए ये प्राणघातक हो जाता। इसी प्रकार उस रेहड़ी वाले ने तो अनजाने में गठरी के ऊपर से पहिया गुजार दिया। उसे मालूम ही नहीं था कि उस गठरी के अंदर एक नन्ही सी जान है। बाद में उसी के प्रयास से बच्ची सबके सामने आई और बचाई गई।
इस तरह की घटनाओं में ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि किसे दोष दें और किसे सराहें। हमारा कानून शिशु परित्याग को अपराध मानता है। टीम भी शिशु हत्या के खिलाफ है और शिशु परित्याग को एक अबोध की हत्या के प्रयास के रूप में देखती है। लेकिन टीम का ये भी मानना है कि शिशु परित्याग किन हालात में किया गया, किस मंशा से किया गया, इससे बच्चे को क्या नुकसान हुआ, नुकसान हुआ या नहीं, जांच के दौरान यह जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना महत्वपूर्ण इन मामलों की रिपोर्ट दर्ज कर जांच करना। हम अपराधियों के हिमायती नहीं हैं, लेकिन सुरक्षित स्थान और समय पर बच्चों को छोड़ने वाले के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार हो, ये जरूरत चाहते हैं। ये जरूरी है, वरना अनजान, अंधेरे, निर्जन कोने कितनी नन्ही लाशों के ढेर में तब्दील हो जाएंगे, ये आज शिशु परित्याग और हत्या की बढ़ती संख्या को देखते हुए कहना मुश्किल है। टीम दुआ करती है कि बच्ची जल्द स्वस्थ हो और एक अच्छे, सुरक्षित माहौल में उसकी परवरिश हो।
06 जून 2018 मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश (F)