वह तौलिए में लिपटी थी और उसके बराबर में दूध की एक बोतल भी रखी थी, दूध से भरी। लेकिन उसके आस-पास कोई नहीं था। वह एक यात्री शे़ड में छोड़ दी गई थी। नीरव अँधेरी रात की ठंड और डर भी उसे वहां
छोड़ने वाले को रोकने में नाकामयाब रहे। इसका सबूत उसका वहां निपट अकेले पड़ा होना था। लेकिन उसे बचाने वाला ऊपर बैठा था, इसलिए एक गार्ड को उसका क्रंदन सुनाई दे गया और उसे बचा लिया गया। घटना
धनबाद-बोकारो मुख्य मार्ग पर स्थित डीएवी अलकुसा (पुटकी) के मेन गेट के समीप बने यात्री शेड में घटी। धनबाद चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के श्री शंकर रवानी ने बताया कि बच्ची वहां अकेले रो रही थी कि मेन गेट पर
ड्यूटी में तैनात गार्ड ने उसका रोना सुना लिया और पुटकी पुलिस को इसकी सूचना दे दी। तुरंत पुटकी थाना के एएसआई श्री दीपक कुमार ओझा वहां पहुंचे और बच्ची को एक निजी अस्पताल ले गए। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।
जांच के बाद उसे करकेंद्र स्थित शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद एएनएम उमा कुमारी की निगरानी में छोड़ दिया गया था। इसकी जानकारी मिलने पर कंचन मित्रा एवं उनकी पत्नी छवि मित्रा ने बच्ची को गोद लेने
की इच्छा जताई और बच्ची को पहले उन्हें सौंप दिया गया। कंचन राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत धनबाद प्रखंड में प्रशिक्षक हैं। उन्हें लोगों की तो सराहना मिली, लेकिन क्योंकि उनके इस कदम को हमारा कानून
सपोर्ट नहीं करता है, इसलिए बाद में चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के हस्तक्षेप के बाद बच्ची को एडॉप्शन सेंटर हजारीबाग भेजने की कवायद की गई। बच्ची लगभग चार-पांच दिन की है। इस घटना में भी यही महसूस होता है कि
बच्ची को वहां छोड़ने वाले की नीयत उसे मारने की नहीं थी। शायद किसी भय ने उसे बच्ची को वहां छोड़ने को मजबूर किया होगा। हमें बच्चों को बचाने के साथ-साथ महिलाओं पर काम कर रहे इस भय को भी दूर करना
होगा, ताकि किसी बच्चे को किसी भी परिस्थिति में अपनी मां से अलग न होना पड़े।
09 नवंबर 2017धनबाद, झारखंड (F)