वह जमीन पर पड़ी थी, मिट्टी से सनी, उसी का एक हिस्सा नजर आ रही थी। कोई हरकत या हलचल नहीं। प्रचंड गर्मी, शरीर पर कोई कप़ड़ा नहीं। ये नफरत किसकी थी, किससे थी, क्यों थी, जिसने उस मासूम को वहां पहुंचा दिया था, कोई नही जानता। लेकिन ये प्यार या ममता तो हरगिज नहीं थी। घटना राजस्थान के जालौर में सांचौर स्थित सरहद अरणाय में थानाक्षेत्र करड़ा में गुरुवार को घटी।
पत्रकार श्री अरविंद प्रताप सिंह ने पा-लो ना को चिराग पांडेय की फेसबुक पोस्ट के हवाले से बताया कि वहां एक नवजात बच्ची दिन में जमीन पर प़ड़ी थी। वह मिट्टी में लथपथ थी। न उसके ऊपर कोई कपड़ा ओढ़ाया हुआ था और न उसके नीचे ही कोई गद्दी या चादर थी और न ही उसके शरीर पर ही कोई कपड़ा था। आग बरसाते सूरज और तपती जमीन के बीच वह नंगे बदन पड़ी थी। एकदम चुपचाप। कोई हरकत भी नहीं। पता नहीं कैसे, लोगों की नजर उस पर पड़ी। भीड़ अभी भी उसे छूने से बच रही थी। शायद पुलिस का भय उन्हें आगे बढ़कर उसकी टोह लेने से रोक रहा था।
तभी भीड़ में से एक व्यक्ति आगे बढ़कर बच्ची के पास पड़ी बड़ी सी लकड़ी हटाता है, जो उसे छुपाने के मकसद से वहां रखी गई थी। बच्ची रोती है तो वह एक कपड़ा मंगवाकर उसमें बच्ची को समेट लेता है। इस बीच एंबुलेंस को फोन कर दिया जाता है। मेडिकल स्टाफ वहां पहुंचकर बच्ची को पहले ठंडे पानी से साफ करता है। तब तक करड़ा थाना पुलिस भी वहां पहुंच जाती है। बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र साचौर ले जाया जाता है, जहां से मेडिकल टीम उसे बेहतर ईलाज के लिए एमसीएच जालोर ले जाती है।
बाल कल्याण समिति के निर्देश पर बच्ची को एमसीएच के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करवा दिया गया। समिति के अध्यक्ष मंगल सिंह राजपुरोहित, सदस्य महेद्र मुणोत, रामप्रकाश खबाणी एवं सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई ज्योतिप्रकाश अरोड़ा ने एमसीएच जाकर बच्ची के स्वास्थ्य के बारे में आवश्यक जानकारी ली और बेहतर इलाज के लिए मेडिकल स्टाफ को निर्देश भी दिए। सेंटर में मदर मिल्क बैंक और नियोनेटल केयर की उपलब्धता बच्ची के लिए वरदान साबित होगी, ऐसी पा-लो ना टीम को उम्मीद है।
आमतौर पर ऐसे मामलों में टीम किसी पर दोषारोपण करने से बचती है। लेकिन इस मामले में बच्ची को देखकर ऐसा लगता है कि मानो परिजनों ने ही बच्ची को वहां छोड़ दिया हो। जिस तरह से बच्ची को वहां छोड़ा गया, उनकी मंशा नेक नजर नहीं आती। साफ लगता है कि उनका इरादा बच्ची को नुकसान पहुंचाने का था। इसलिए मामले में केस दर्ज किया जाना और मामले की ईमानदारी और तत्परता से जांच बहुत जरूरी है।
24 मई 2018 जालौर, राजस्थान (F)