अरहर के उस खेत से तड़के पांच बजे आती बच्चे की आवाज ने लोगों का ध्यान खींचा। जब लोग वहां पहुंचे तो देखा एक बच्ची, जिसकी उम्र कुछ घंटों की भी नहीं होगी, अपनी गर्भनाल के साथ वहां मौजूद थी। अत्यधित ठंड से बच्ची का शरीर अकड़ने लगा था। ग्रामीणों ने उसे तुरंत वहां से उठा लिया और यूं उसके जीवनदाता बन गए। घटना गढ़वा थाना क्षेत्र के परखिया में रविवार अहले सुबह घटी।
बाल कल्याण समिति के श्री उपेंद्र ने घटना की जानकारी देते हुए पा-लो ना को बताया कि रविवार सुबह 05 बजे शौच के लिए गई बौधी देवी, पति लक्षु चौधरी को अरहर के खेत में एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची को देखने से लग रहा था कि उसे किसी ने जन्म के तुरंत बाद ही त्याग दिया है। उसकी गर्भनाल भी साथ ही लगी थी। शरीर पर लगे रक्त को भी साफ नहीं किया गया था। ठंड से उसका शरीर जकड़ने लगा था। उसकी सूचना पर वहां तुरंत ही ग्रामीणों की भीड़ लग गई। बच्ची को वहां से उठाकर गांव ले जाया गया और एक प्रशिक्षित दाई के द्वारा उसकी नाल कटवाई गई।
बौधि ने आंगनबाड़ी की सुमित्रा, प्रमिला एवं पर्यवेक्षिका श्रीमती विमला देवी व पीओआईसी संजय ठाकुर ने गढ़वा बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को इसकी सूचना दी। इसके बाद सदस्य सुशील कुमार दुबे, विनय पाल एवं संजय ठाकुर मासूम को इलाज के लिए सदर अस्पताल गढ़वा लेकर गए, जहां अस्पताल प्रबंधन ने उसे भर्ती करने से इंकार करते हुए कुपोषण केंद्र भेज दिया। बाद में बच्ची को पलामू स्थित स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी भेज दिया गया। इस मामले में अभी तक पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया है।
पा-लो ना को लगता है कि बच्ची को उसके परिजनों द्वारा ही त्याग दिया गया है। इसके पीछे मुख्यतः दो कारण हो सकते हैं, या तो परिवार में पहले से ही बच्चों की अधिक संख्या हो, या फिर उसका बेटी होना ही उसका गुनाह बन गया हो। कारण जो भी हो, इस तरह उसके प्राण संकट में डालना किसी भी तर्क से सही नहीं ठहराया जा सकता। इसके लिए जितना दोष परिजनों का है, उतना ही सिस्टम का भी, जो आज तक लोगों को ये विश्वास नहीं दिला सका कि वे अपने बच्चे को सकुशल सरकार को सौंप सकते हैं। जरूरत ज्यादा से ज्यादा जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने की है, ताकि नवजात शिशुओं के जीवन को बचाया जा सके।
09 दिसंबर 2018 गढ़वा, झारखंड (F)