कुछ घंटे पहले ही हुआ था बच्ची का जन्म, गर्भनाल लगी थी साथ
गोपालगंज के बैकुंठपुर की घटना
30 OCTOBER 2022, SUNDAY, GOPALGANJ, BIHAR.
गोपालगंज के बैकुंठपुर में रविवार की सुबह एक बच्ची मिली। PHC की छत पर अखबार में मिली नवजात बच्ची को सीडब्ल्यूसी ने दोपहर को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में एडमिट करवाया। डॉक्टर्स के मुताबिक बच्ची स्वस्थ है।
पालोना को इस घटना की सूचना दिल्ली के पत्रकार श्री रवि रणवीरा से मिली। इसके बाद सीडब्ल्यूसी गोपालगंज के सदस्य श्री आदित्य सिंह से बातचीत में विस्तृत जानकारी मिली।
PHC की छत पर अखबार में मिली नवजात
श्री सिंह ने बताया कि घटना पीएचसी बैकुंठपुर की है। यहां PHC की छत पर रविवार की भोर में एक बच्ची को छोड़ दिया गया। वह अखबार में लिपटी थी। उसकी गर्भनाल साथ लगी थी। अस्पताल के किसी स्टाफ ने उसे देखा और डॉक्टर महबूब आलम को सूचना दी।
थाने ने बच्ची की सूचना दी
अखबार में मिली नवजात बच्ची को साफ करने के बाद प्राथमिक चिकित्सा दी गई। इसके बाद बैकुंठपुर थाने को सूचना पहुंची। सीडब्ल्यूसी को भी बैकुंठपुर थाने से ही जानकारी मिली। हम स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी की स्टाफ डिंपल कुमारी को लेकर बैकुंठपुर गए और नवजात बच्ची को लाकर गोपालगंज के सदर अस्पताल के एसएनसीयू में एडमिट करवाया।
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स्वस्थ है नवजात बच्ची
डॉक्टर का कहना है कि नवजात बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। उसका जन्म वहां छोड़े जाने से कुछ घंटे पहले ही हुआ था। 04 दिन पहले भोरे के खलगांव से भी एक बच्ची झाड़ियों में मिली थी।
क्या कहता है स्थानीय मीडिया
सुबह में सफाईकर्मी लालबाबू की नज़र उस नवजात पर पड़ी। उसने तुरंत स्वास्थ्यकर्मियों को सूचना दी। चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी बच्ची की देखभाल एवं इलाज में जुट गये। मामला संज्ञान में आने के बाद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने थानेदार व बाल कल्याण समिति गोपालगंज को इसकी सूचना दी।
सीएचसी में ड्यूटी पर तैनात मेडिकल ऑफिसर डॉ. आफताब आलम ने बताया कि बच्ची को अस्पताल परिसर से प्राप्त करने के बाद प्रारंभिक इलाज किया गया। जन्म के समय लगनेवाले ओपीवी, बीसीजी व हेपाटाइटिस बी के टीके लगाए गए।
पालोना का पक्ष
हालांकि बच्ची को छोड़ने वालों ने उसे अस्पताल जैसी सुरक्षित जगह पर छोड़ा, लेकिन यह परित्याग सुरक्षित नहीं था। जन्मते ही किसी बच्ची को छत पर छोड़ना असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर है।
ये केस थोड़ा पेचीदा भी है। कई सवाल हैं। सबसे प्रमुख सवाल तो यही है कि वे बच्ची को कहीं भी छोड़ सकते थे, उन्होंने PHC को ही क्यों चुना? क्या इसके पीछे बच्ची को तत्काल इलाज दिलवाने की मंशा थी?
काश! कि उन्होंने छत की बजाय अस्पताल के अंदर किसी बेड का चुनाव किया होता तो आज वे कानून की नजर में दोषी नहीं होते।
श्रेष्ठ होता बच्ची को सीडब्ल्यूसी के माध्यम से सरकार को सुरक्षित सौंपना। इसके लिए वे सेफ सरेंडर विकल्प चुन सकते थे।
श्री आदित्य ने बताया कि गोपालगंज में सभी PHCs के बाहर पालने लगे हुए हैं। वे बच्ची को किसी पालने में भी छोड़ सकते थे।


