क्या हुआ –
जमशेदपुर के मानगो बस स्टैंड के पीछे स्थित छायानगर (धोबीनाले) नाले में एक नवजात लड़के
का शव तैरता हुआ नजर आया तो लोगों ने पुलिस को सूचना दी। सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के
एसआई श्री ललन सिंह घटनास्थल पर पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए एमजीएम अस्पताल
भिजवाया।
स्थानीय निवासियों में बच्चे के साथ बरती गई क्रूरता को लेकर काफी आक्रोश था। उनका कहना
था कि यदि बच्चे को नहीं पालना था, तो उन्हें दे देते। लोग इस घटना से काफी आहत नजर आए।
लोग मां को कोस रहे थे, जबकि किसी ने भी बच्चे की मां को पानी में उसे डालते नहीं देखा
था। सिर्फ अंदाजे पर ही वे मां को इस घटना का दोषी ठहरा रहे थे।
सरकारी पक्ष –
एसआई श्री सिंह ने पालोना को बताया कि वह सुबह साढ़े आठ बजे गश्ती पर थे कि उन्हें नाले
में बच्चे का शव दिखने की सूचना मिली। वह तुरंत मौकास्थल पर पहुंचे। तब तक वहां काफी
भीड़ जमा हो चुकी थी। लोगों ने बच्चे को पानी में से निकालकर पत्थर पर रख दिया था। वहां
मौजूद महिलाएं बच्चे की स्थिति को देखकर रो रही थीं। वे अफसोस जता रहीं थीं कि यदि
बच्चा जीवित मिलता तो वे ही उसका पालन पोषण कर लेतीं।
श्री सिंह के मुताबिक, इस मामले को यूडी में दर्ज किया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का
इंतजार किया जा रहा है। बच्चे की मौत पानी में डालने के बाद हुई, या उससे पहले, इस विषय
में अभी निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।
पा-लो ना का पक्ष –
पालोना ने एसआई श्री ललन सिंह और थाना प्रभारी इंस्पेक्टर श्री अजय कुमार से अपील की कि
इस केस को यूडी की बजाय आईपीसी सेक्शन 318 के तहत दर्ज किया जाए और पोस्टमार्टम रिपोर्ट
के बाद उसमे उपयुक्त अन्य धाराएं जोड़ी जाएँ।
पालोना के मुताबिक, तस्वीर में बच्चे का चेहरा फूला हुआ नजर आ रहा है। किसी नतीजे पर
पहुंचने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट अहम भूमिका निभाती है। अगर बच्चे के फेफड़ों में
पानी मिलता है तो साबित हो जाएगा कि बच्चे को जीवित अवस्था में ही पानी में डाला गया
था। तब इसमें आईपीसी 315 व 302 के साथ साथ जेजे एक्ट का 75 सेक्शन भी लगेगा और यदि
इसमें एक से अधिक व्यक्ति की संलिप्तता मिलती है तो आईपीसी 34 भी लगेगी।
इसके बाद सवाल उठेगा कि इसे किसने अंजाम दिया और क्यों। पालोना अन्य लोगों की तरह
अनुमान पर बच्चे की मां को कठघरे में खड़ा करने के खिलाफ है। इस घटना में एक बार फिर
मां को कठघरे में खड़ा किया गया है, जबकि किसी ने भी मां को बच्चे को पानी में डालते
नहीं देखा। इस सोच को बदलने की जरूरत है, जिसमें बच्चे की हर तरह की जिम्मेदारी मां पर
डाल कर पिता को उससे पूरी तरह मुक्त कर दिया जाता है। मां को दोषी ठहराने से पहले यह
जानना आवश्यक है कि आखिर बच्चे को पानी में डाला किसने और क्यों।
इसके अलावा, पालोना मृत नवजात शिशु को भी इस तरह पानी में बहाने के खिलाफ हैं और बार
बार यह अपील कर रहा है कि बच्चों के शवों को पानी में बहाने की बजाय उन्हें दफनाने की
व्यवस्था की जाए। पालोना का स्पष्ट मानना है कि इन बच्चों के लिए सरकार द्वारा विकल्प
की व्यवस्था करना बहुत जरूरी है।
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02 August, 2019 Jamshedpur, Jhaarkhand (M, D)