नहर के किनारे झाड़ी में पड़ी वह बच्ची रो रही थी, जब रामपुर निवासी ललिता देवी, पत्नी नगुना राम ने उसकी आवाज सुनी। वह उस वक्त धान ढोने जा रही थी। ललिता ने उसे वहां से उठा लिया और अपने घर ले
आई। मामला पलामू के हरिहरगंज थाना क्षेत्र के बलरा सुल्तानी गांव का है। इसी गांव के निकट से नहर बहती है, जिसके किनारे बच्ची फेंकी गई थी। स्थानीय रिपोर्टर के मुताबिक बच्ची कुछ दिनों की प्रतीत होती है। मालूम
हो कि ललिता देवी के पहले से ही पांच बेटे और दो बेटियां हैं। अकसर ऐसा देखने में आया है कि बच्चे को बचाने वाले के पास यदि बच्चा बहुत दिनों तक रह जाता है तो उसका एक स्वाभाविक जुड़ाव बच्चे से हो जाता है
और बच्चा भी अपने जन्म के बाद जिन्हें पाता है, उसका भी लगाव उनसे हो जाता है। ये अलग बात है कि वह अपने मन की बात किसी को कह नहीं पाता। मगर इन परिस्थितियों में सरकारी एजेंसियों चाइल्ड लाईन, बाल
कल्याण समिति आदि को बच्चा रिकवर करने में बहुत परेशानी होती है। इसके लिए कभी-कभी पुलिस का भी सहारा लेना पड़ता है। हालांकि पा-लोना के जरिए हम इस बात की अपील करते हैं कि बच्चे को बचाने वाला यदि
बच्चे को पालने का अधिकार चाहता है तो वह उसे मिलना चाहिए, मगर जब तक इसके लिए अनुकूल कानून नहीं बन जाता, तब तक कानून के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हम कोशिश करते हैं कि कानून सम्मत ही
कार्य किया जाए और संबंधित अधिकारियों और एजेंसियों तक बच्चे के मिलने की सूचना जल्द से जल्द पहुंचाई जाए। मामले की जानकारी पा-लो ना टीम द्वारा स्थानीय बाल कल्याण समिति को दे दी गई है। टीम
पा-लो ना उन रिपोर्टर की भी दिल से आभारी है, जिन्होंने वक्त पर सूचना मुहैया करवा दी।
08 दिसंबर 2017पलामू, झारखंड (F)