ये मामला बिहार के सहरसा जिले के सलखुआ पंचायत का है। 17 नवंबर को एक 33-34 साल की महिला ललिता देवी लेबर पेन में सलखुआ पीएचसी पहुंची। वहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची और मां की
क्रिटिकल हालत को देखते हुए उन दोनों को एंबुलेंस से सहरसा के सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। उसी दिन शाम करीब साढ़े छह-सात बजे के आस-पास एंबुलेंस उन्हें लेकर सदर अस्पताल पहुंची और बच्ची को आईसीयू
में एडमिट कर दिया गया। अस्पताल स्टाफ के बहुत जोर देने के बाद भी ललिता देवी एडमिट होने को तैयार नहीं हुई और कुछ ही देर में वहां से गायब हो गई। तब से बच्ची वहीं एडमिट थी। आज सुबह स्थानीय पत्रकार
श्री श्रुतिकांत को कहीं से पता चला कि उस बच्ची की खरीद-फरोख्त की बात चल रही है तो उन्होंने तुरंत ही स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी को इसकी सूचना दी। जिसके बाद शाम होते-होते बच्ची को चाईल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर श्री
भास्कर कश्यप तथा स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी की कॉर्डिनेटर सुश्री श्वेता कुमारी ने अपनी देखरेख में ले लिया। इस पूरे मामले में जिला बाल संरक्षण ईकाई के सहायक निदेशक श्री भास्कर प्रियदर्शी की भूमिका काफी सराहनीय रही,
जिन्होंने छुट्टी पर होने के बावजूद बच्ची को रिकवर करने के लिए दिनभर कॉर्डिनेट किया।
17 नवंबर 2017सहरसा, बिहार (F)