कहीं आपके बच्चे पर तो नहीं किसी बच्चा चोर की ‘काली नजर’

देश के सरकारी व निजी अस्पताल हैं बेबी ट्रैफिकर्स का निशाना

अस्पतालों से हो रही है नवजातों की चोरी, कारण जानकर रह जाएंगे हैरान…

मोनिका आर्य

देश के कई राज्यों में जन्म ले रहे नवजात शिशुओं पर कुछ काली नजरें गड़ी हुई हैं। इन निगाहों को बच्चों के जन्म लेने का बेसब्री से इंतजार होता है और जैसे ही कोई बच्चा जन्म लेता है, इनकी बांछें खिल जाती हैं। आंखों ही आंखों में कुछ इशारे होते हैं। कुछ अनजान चेहरे उस मासूम बच्चे के इर्द गिर्द मंडराते हैं और कब शिशु अपनों के बीच से गायब हो जाता है, किसी को भनक भी नहीं लगती।

इस बात का अहसास उस वक्त हुआ, जब बीते फरवरी माह में बिहार के नालंदा जिले में स्थित एक निजी क्लीनिक से नवजात शिशु की चोरी हो गई। गौर करने पर मालूम हुआ कि शिशु चोरी की ये घटना सिर्फ बिहार शरीफ में ही नहीं हुई है, वरन् देशभर से नवजात बच्चों की चोरी कीअनेक घटनाएं बीते महीनों में रिपोर्ट हुई हैं।

ये था मामला

चण्डी निवासी बबन मांझी की पत्नी पूजा कुमारी को फरवरी के प्रथम सप्ताह में प्रसवपीड़ा होने पर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। पूजा ने यहां लड़के को जन्म दिया। इसी दौरान उसकी तबियत बिगड़ने लगी, जिसके बाद परिजन उसे एक निजी क्लीनिक में ले गए। यहाँ एक महिला ने खुद को आशा बता कर सेवा करने की पेशकश की और पूजा के पति को नाश्ता लाने को कहा। उसके कुछ देर बाद वह कमरे से नवजात को लेकर फरार हो गयी। थोड़ी देर बाद जब पूजा को होश आया तो वह अपने बच्चे को तलाशने लगी। लेकिन बच्चा तो वहां था ही नहीं। खोजबीन के बाद पता चला कि जो महिला आशा बन कर आयी थी, वही बच्चे को गोद में लेकर फरार हो गयी। 

इससे पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं

आँध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में 16 अक्तूबर 2021 को जिला अस्पताल से एक नवजात बच्चा गायब हो गया।

25 सितंबर 2021 को आंध्र प्रदेश के ही मछलीपट्टनम से पांच दिन का बच्चा जिला अस्पताल से चोरी किया गया। जी मीडिया डॉट कॉम के अनुसार, चोरी हुआ बच्चा पेदामड्डला गांव के रहने वाले सिंदुजा और येसोबा का था। बच्चे का जन्म 21 सितंबर को हुआ था। इस घटना में शक के दायरे में वह 40 साल की महिला है, जो खुद को सिंदुजा की रिश्तेदार बता रही थी और उसे ही बच्चे को अस्पताल से बाहर ले जाते हुए देखा गया था। 

19 अगस्त को सिम्स अस्पताल, बिलासपुर से सात माह के बच्चे हमराज को लेकर एक युवक-युवती गायब हो गए थे, जो चार दिन तक बच्चे को लेकर पुलिस के साथ लुकाछिपी खेलते रहे, लेकिन अंततः पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। 

पकड़े गए पुष्पेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह एक दुधमुंहे बच्चे की तलाश में था। उसने जब हमराज को 18 अगस्त को अपने माता-पिता विशाखा और सफर शाह के साथ रेलवे स्टेशन पर देखा तो अपनी साथी रितु को फोन कर स्टेशन बुला लिया।

विशाखा और सफर शाह 07 अगस्त को लूथरा शरीफ गए थे। वहां से 18 अगस्त को वे करगी रोड कोटा जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। हमराज की तबियत कुछ खराब थी तो पुष्पेंद्र और रितु उन तीनों को इलाज के बहाने से सिम्स ले गए और वहां से रितु बच्चे को लेकर गायब हो गई। मध्यप्रदेश के उमरिया रेलवे स्टेशन पर क्रांति एक्सप्रेस से रितु को आरपीएफ ने गिरफ्तार किया। मगर इसमें चार दिन बच्चे को अपनी मां से दूर रहना पड़ा।

बिलासपुर की घटना से पहले 10 जुलाई 2021 को बाड़मेर, राजस्थान में अस्पताल से पिता के पास सो रहा तीन दिन का नवजात शिशु चोरी हो गया था और 15 घंटे बाद सड़क पर बैग में बंद मिला था। जयवर्द्धन न्यूज डॉट कॉम के मुताबिक, उसका जन्म 06 जुलाई को जिला अस्पताल में हुआ था। बाड़मेर के रड़वा निवासी जसराज सिंह की पत्नी कमला की डिलीवरी ऑपरेशन से हुई थी। 08-09 जुलाई की रात जच्चा और बच्चे को पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड से अन्य वार्ड में शिफ्ट किया गया था। वहीं, पिता के पास सोए बच्चे को उठाकर चोर चंपत हो गए थे। 09 जुलाई,  शुक्रवार की सुबह पांच बजे जैसे ही बच्चा गायब होने का पता चला, पुलिस तत्काल हरकत में आ गई।

ये पुलिस के एक्टिव होने का ही नतीजा था कि बेबी ट्रैफिकर्स बच्चे को 15 घँटे बाद रीको पुलिस चौकी से थोड़ी ही दूरी पर सड़क किनारे बैग में रखकर गायब हो गए। रामनगर कॉलोनी के दो युवा विजय माल्या और केशाराम ने वहां से गुजरते हुए बच्चे के रोने की आवाज सुनी। वे जिला अस्पताल से बच्चा चोरी की घटना से अवगत थे। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी और बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। 

इसके बाद जुलाई माह में ही 20 तारीख को चुरू के मातृ शिशु अस्पताल की एफबीएनसी से पीथीसर निवासी माधुरी और प्रताप राड़ का बच्चा गायब हुआ तो पुलिस ने सीसीटीवी खंगाले। पत्रिका डॉट कॉम के अनुसार, इस बच्चे का जन्म राजकीय डीबी अस्पताल में हुआ था और वह एफबीएनसी में भर्ती था, जहां बच्चे की मां माधुरी उसे शाम साढ़े सात बजे दूध पिलाकर लौटी थी। लेकिन कुछ ही मिनटों में एक परिजन के आने पर वह उन्हें लेकर बच्चे को दिखाने गईं तो वहां बच्चे को न पाकर उनके होश उड़ गए।

इससे पहले बांसवाड़ा में मालवासा निवासी अनिता पत्नी अर्जुन बामनिया ने 09 फरवरी को तलवाड़ा पीएचसी में एक बच्चे को जन्म दिया था। 11 फरवरी को उसे उसके मायके वाले अपने साथ बड़लिया ले गए। वहीं एक महिला नर्स के रूप में 27 फऱवरी को अनिता से मिलने आई और बच्चे को टीकाकरण के लिए अस्पताल लाने को कहा। अगले दिन 28 फरवरी को वे बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे तो नर्स ये कहकर बच्चे को अपने साथ ले गई कि वह उसे टीका दिलवा कर लाती है और फिर गायब हो गई। ये घटना एमजी अस्पताल में घटी।

साल 2020 में भी दर्ज हुईं कई घटनाएँ

इंदौर, मध्यप्रदेश में 16 नवंबर 2020 की सुबह लोकेश भियाने की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन शाम होते होते बच्चा अस्पताल से चोरी हो गया। पुलिस ने इस मामले में दबिश देना शुरू कर दिया, जिससे डरकर अपरहरणकर्ता बच्चे को थाने के गेट पर छोड़ कर भाग गए। एमवाय अस्पताल के वार्ड नंबर तीन से बच्चे को चोरी करने की आरोपी एक महिला थी, जिसे सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था। वह नर्स के वेश में बच्चे के पास आई थी और चैकअप करवाने के लिए बच्चे को नीचे ले जाने को कहा। बच्चे की नानी उसे लेकर जब नीचे पहुंची तो तथाकथित नर्स ने उन्हें पर्ची कटवाकर लाने को कहा और खुद बच्चा लेकर चंपत हो गई।

उसके साथ दो और लोग भी संदेह के घेरे में थे। युवती अस्पताल से पूरी तरह परिचित व बेफिक्र नजर आ रही थी। उस वक्त अंदेशा जताया गया था कि अस्पताल का कोई कर्मी भी उसके साथ मिला हुआ है। पुलिस का दबाव बढ़ने पर उन्होंने बच्चे को थाने के बाहर छोड़ दिया, जिसे एक महिला सफाईकर्मी ने देखा और पुलिस को सूचित किया।

जब किन्नर ने चुराया बच्चा तो वजह जान कर सब रह गए दंग

लेकिन इन सब घटनाओं से अलग थी उत्तर प्रदेश के हापुड़ में अगस्त 2021 में हुई घटना। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गांव सुराना निवासी संदीप की पत्नी मीनू ने 25 अगस्त को एक बच्चे को जन्म दिया था। जन्मे बच्चे को एक किन्नर ने खुद पालने के लिए अपहरण कर लिया था। 29 अगस्त को छपी लाइव हिंदुस्तान डॉट कॉम की खबर के अनुसार सीएचसी से शनिवार तड़के तीन से चार बजे के बीच महिला जनरल वार्ड से चार दिन का बच्चा गायब हो गया था। इसके बाद बच्चे के परिजनों और ग्रामीणों ने मिलकर वहां खूब हंगामा किया और दिल्ली मेरठ मार्ग को कई घंटों के लिए रोक दिया। 

सीसीटीवी फुटेज से संदिग्ध का पता चला तो 12 घंटों के बाद पुलिस ने मुठभेड़ के बाद दो लोगों विजय उर्फ राहुल और प्रिंस को गिरफ्तार कर लिया। जांच में मालूम हुआ कि विजय उर्फ राहुल किन्नर है, जिससे प्रिंस ने प्रेम विवाह किया है। प्रिंस ने अपने परिवार वालों से राहुल की हकीकत छुपाई थी और ये झूठ बोला कि वह गर्भवती है। इस नाटक को अमली जामा पहनाने के लिए उन्हें एक नवजात बच्चे की जरूरत थी, इसलिए प्रिंस तीन दिन से सरकारी अस्पताल की रेकी कर रहा था। शनिवार सुबह उसे ये मौका मिल गया और उसने दो महिलाओं के बीच सो रहे बच्चे को उठा लिया।

बच्चे के अपहरण के बाद प्रिंस विजय को लेकर अपने गांव बदनौली पहुंचा और घरवालों को बेटा होने जानकारी दी। अभी जश्न मन ही रहा था कि पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर बच्चे को बरामद कर लिया। 

चोरी के बच्चे के इलाज के दौरान चुरा लिया एक और बच्चा

जिस वक्त हापुड़ में ये सब चल रहा था, उसी दौरान मध्य प्रदेश के कटनी में एक महिला ने चोरी के बच्चे का इलाज करवाने के दौरान ही दूसरे बच्चे को भी चुरा लिया। यश भारत डॉट कॉम की रिपोर्ट कहती है कि बाकल थाना क्षेत्र के गांव मसंधा से शनिवार को एक डेढ़ माह के बच्चे की चोरी कर एक महिला सोमवार को जिला अस्पताल पहुंची। वह बच्चे का इलाज करवाने अस्पताल आई थी। लेकिन मौका देख उसने दूसरा बच्चा भी गायब कर दिया। 

उधर, मसंधा केस की जांच में जुटे बाकल थाना प्रभारी एसआई अनिल काकड़े को महिला का मोबाइल नंबर पता चल गया। उसकी लोकेशन ट्रेस करने के बाद उसे तेवरी के पास बस से उतारकर जांच की गई तो वह एक की बजाय दो बच्चों के साथ मिली। महिला का नाम सिया बाई, निवासी झादा जिला दमोह है। वह खुद दो बच्चों की मां है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वह अपने पहले पति को छोड़ चुकी है और अब दूसरे पति के साथ रहती है। बच्चे उसके पहले पति के है। उसके व्यवहार से लगता है कि वह काफी शातिर है।

अगस्त 2021 में उत्तर प्रदेश के मुरादनगर से, सितंबर-अक्तूबर में बिहार के सासारम से, दिसंबर 2020 में मध्यप्रदेश के अशोकनगर व इंदौर के अस्पतालों से बच्चे चोरी होते रहे हैं।

क्यों हो रही है़ देशभर के अस्पतालों से नवजात शिशुओं की चोरी

नवजात शिशुओं की हत्या की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे अभियान पालोना की रिसर्च में ये सामने आया है कि अधिकांश मामलों में ‘एडॉप्शन’ इन चोरियों के पीछे मुख्य वजह है। देश में नवजात बच्चों को एडॉप्ट करने की इच्छा रखने वाले अभिभावकों की संख्या 25 हजार से भी ज्यादा बताई जाती है, जबकि उस अनुपात में शिशुओं की संख्या बहुत कम है। अभिभावकों को दो से तीन साल का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। 

बच्चों के चोर इन निराश और हताश लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं, जो पेरेंट्स बनने की इच्छा रखते हैं। वे इन लोगों को जल्दी बच्चा मिलने का सपना दिखा उनसे लाखों रुपये ऐंठ लेते हैं। कई बार लोगों को न तो बच्चा ही मिलता है, न पैसा मिलता है।

केवल एडॉप्शन ही नहीं, वरन् बच्चा चोरी की घटनाओं के तार शिशु हत्या (INFANTICIDE) और नवजात शिशु परित्याग (ABANDONMENT OF NEWBORNS) से भी जुड़े हैं। सौदा न पटने और पुलिस का दबाव पड़ने की स्थिति में पकड़े जाने के भय से बच्चा चोर उस शिशु की हत्या भी कर सकते हैं। ऐसा पूर्व में एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल के स्टिंग में भी सामने आया था।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

हाल के सालों में नवजात बच्चों की चोरी में निश्चित रूप से बहुत इजाफा हुआ है। इसके बढ़ने के पीछे शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और कानूनी कारण हैं। देर से शादी करने की वजह से लोगों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। आईवीएफ बहुत महंगा है और एडॉप्शन के लिए बहुत इंतजार करना पड़ता है। आर्थिक वजहों से अस्पतालकर्मी भी कहीं न कहीं इसमें संलिप्त होते हैं। अगर दोषी पकड़े भी जाते हैं तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करती नहीं है। इन सब वजहों से घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। – श्री कृपाशंकर चौधरी, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड मेम्बर, भोपाल।

एडॉप्शन के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी है। बच्चे मिल नहीं रहे हैं। वेटिंग पीरियड तीन साल है। ऐसे में बच्चे को गोद लेने के इच्छुक पेरेंट्स बड़ी आसानी से इन बच्चा चोरो के शिकार बन जाते हैं। – श्रीमती मीरा मारती, को-फाउंडर डब्लूएआईसी।

मुझे लगता है कि बच्चा चोरी की इन घटनाओं के पीछे गैरकानूनी एडॉप्शन करवाने वाले गिरोह के अलावा ह्यूमैन ट्रैफिकर्स भी हैं, जो इन बच्चों का इस्तेमाल ऑर्गेन ट्रेड, भिक्षावृत्ति, घरेलु काम के अलावा फ्लैश ट्रेड में भी करते हैं। – चाईल्ड राईट एक्टिविस्ट व ए़डवोकेट के. डी. मिश्रा।

इन बातों का रखें ख्याल

  1. अगर कोई आपसे बच्चा ये कहकर लेना चाहे कि आप पर्ची कटवाइए, हम बच्चे को संभालते हैं तो आप सतर्क हो जाएँ।
  2. कोई भी बच्चे को कहीं अस्पताल या किसी अन्य जगह ले जाने को कहे तो खुद लेकर जाइए। बच्चा किसी भी अनजान व्यक्ति को न दें। भले ही वह अस्पताल की यूनिफॉर्म में ही क्यों न नजर आए। 
  3. यदि टीकाकरण या किसी अन्य वजह से बच्चे को किसी की गोद में देना भी पड़े तो उसे छोड़कर एक पल के लिए भी वहां से न जाएँ। बच्चे और उस व्यक्ति के आसपास बने रहें।
  4. अगर वह व्यक्ति कुछ खाने या पीने के लिए दे तो साफ शब्दों में इनकार कर दें। भूल कर भी किसी का दिया हुआ कुछ न खाएँ, न पिएं, चाहे वह पानी ही क्यों न हो।