
नवजात बेटी को उन्होंने जिंदा दफना दिया
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August 9, 2022
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साबरकांठा के गंभोई गांव में जमीन में दबी मिली नवजात
औजारों से किया परहेज, हाथों से हटाई गई मिट्टी, मां–बाप गिरफ्तार
04 अगस्त 2022, गुरुवार, साबरकांठा, गुजरात।
मोनिका आर्य
अपनी नवजात बेटी को जिंदा ही जमीन में दफन कर दिया था उन्होंने। शायद वहीं उसकी कब्र बन जाती, लेकिन उसका नन्हा सा हाथ जमीन के बाहर रह गया। उसे दफनाने वालों का ध्यान भी इस ओर नहीं गया। नियति संभवतः उस की मदद करना चाहती थी। तभी तो अपने खेत का मुआयना करने पहुंचे उस किसान की नजर इस नन्ने हाथ पर पड़ गई।
गुजरात के साबरकांठा की है घटना
यह घटना है गुजरात के साबरकांठा जिले के गंभोई गांव की, जो हिम्मत नगर तहसील में पड़ता है। घटना 4 अगस्त की सुबह घटी। पालोना को इस घटना की जानकारी रांची के सीनियर जर्नलिस्ट श्री अरविंद प्रताप से मिली। इसके बाद स्थानीय मीडिया की खबरों को खंगाला गया।
जो तस्वीर निकल कर आई, उसके मुताबिक, शैलेश बजानिया और मंजुला बजानिया गांधीनगर के रहने वाले हैं। कुछ समय पहले ही वे मंजुला के मायके चामुंडा नगर में आकर रहने लगे थे। चामुंडा नगर हिम्मतनगर तहसील में ही पड़ता है।
मंजुला गर्भवती थी। 4 अगस्त की तड़के 6:00 बजे के आसपास उसने एक बच्चे को जन्म दिया। ये एक लडकी थी। आरोप है कि अपनी नवजात बेटी को जन्म के तुरंत बाद नाभि काटे बिना ही उन्होंने घर के पीछे के खेत में जिंदा दफना दिया। यह खेत श्री जितेंद्र सिंह धाबी का था, जो हिम्मतनगर–शामलाजी रोड पर पड़ता है। इसके निकट ही (GEB) गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का ऑफिस है।
ऐसे खुला मामला
गुरुवार सुबह श्री धाबी अपने खेत को देखने के लिए आए। तब उनकी नजर बच्ची के हाथ पर पड़ी जो जमीन में से निकला हुआ था। उन्होंने तुरंत आवाज लगाई, जो वहां काम करने वाले लोगों और गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कर्मचारियों ने भी सुनी। मौके पर कई लोग इकट्ठा हो गए।
हाथों से हटाई गई मिट्टी
हाथों से उस नवजात बेटी को बाहर निकालने की कोशिश होने लगी। मिट्टी हाथों से ही हटाई जाने लगी। किसी औजार का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था, क्योंकि उससे बच्ची को चोट लग सकती थी। उसे जमीन में से निकाल लिया गया। उसकी सांसे चल रही थी। हालांकि उसके मुंह और नाक में मिट्टी भरी हुई थी। 108 नंबर एंबुलेंस पर फोन किया गया। एंबुलेंस बिना देर किए घटनास्थल पर पहुंच गई। एंबुलेंस में ही बच्ची को ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया गया।
प्रीमेच्योर है बेटी
उसे हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में ले जाया गया। वहां के रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर एन एच शाह के मुताबिक बच्ची प्रीमेच्योर है। उसका जन्म सातवें महीने में ही हो गया। उसका वजन 1 किलोग्राम है। जमीन के अंदर से जीवित निकलने से पहले वह कम से कम 3 घंटे उसके अंदर थी।
पुलिस की 03 स्पेशल टीम बनी
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यह वाकया बहुत खौफनाक था। पुलिस ने इसकी तह तक पहुंचने के लिए तीन स्पेशल टीमों का गठन किया। एसपी विशाल वाघेला स्वयं पूरे केस को मॉनिटर कर रहे थे। इनमें से ही एक टीम को इनफॉर्मर का फोन आया। उसने शैलेश और मंजू बजानिया के बारे में टिप दी। उसने बताया कि जिस दिन यह बेटी मिली, उसी दिन से चामुंडा नगर की गर्भवती महिला मंजुला बेन और उसका पति वहां से गायब है, यह एक महत्वपूर्ण टिप थी। पुलिस ने चारों तरफ अपने खबरी फैला दिए।
शैलेश–मंजुला गिरफ्तार
दोनों पति-पत्नी को काडी तहसील के नंदसन के पास गांव डंगरवा से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के बाद उन्होंने बताया कि वे अपनी दूसरी संतान को पालने में सक्षम नहीं थे। वह प्रीमेच्योर बच्ची थी। अंडरसाइज भी थी। अंडरवेट भी थी। वे इसके इलाज का खर्च नहीं उठा सकते थे। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को जमीन में दफना दिया।
307 और 317 के तहत केस दर्ज
पुलिस ने इस मामले में आईपीसी 317 और 307 के तहत केस दर्ज किया है
पालोना का पक्ष
गुजरात के इस केस में पुलिस की तत्परता और गहन जांच पड़ताल की सराहना करनी चाहिए। अगर पुलिस इतनी तत्पर न होती तो बच्ची के दोषियों तक पहुंचना मुश्किल था।
लेकिन एक सवाल अनुत्तरित है। वो ये कि यदि शैलेश और मंजुला सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में जानते होते, तब भी अपनी बेटी के लिए क्या वे यही कदम उठाते?
देखें वीडियो
नवजात बच्ची को प्लास्टिक में बंद कर सड़क पर छोड़ा, हालत स्थिर
Source
Beti Bachao Downgrades To Beti Maaro; Newborn Found Buried Alive In Gujarat
https://www.patrika.com/ahmedabad-news/newborn-girl-s-condition-is-critical-only-one-kidney-is-working-7698098/
https://www.patrika.com/ahmedabad-news/parents-arrested-for-burying-the-newborn-alive-in-the-ground-7695965/