बच्चे को जन्म दिया है तो उसके लिए जीवन चुनिए, मौत नहीं।

अपने बच्चे को पालने में नहीं हैं सक्षम, तो सरकार को करें सरेंडर 

मोनिका आर्य

“मैं इस बच्चे को नहीं पाल सकती”-

24 साल की उस युवती ने बच्चे का जन्म करवाने वाली अपनी डॉक्टर से कहा। वह अपने परिजनों (सम्भवतः माता-पिता) के साथ निजी नर्सिंग होम पहुंची थी।

होने वाले बच्चे के पिता के बारे में पूछने पर वह रोने लगी। डॉक्टर ने सोचा कि हसबैंड की मृत्यु हो गई है।

वह लेबर पेन में थी। डॉक्टर की पहली ड्यूटी बच्चे का सकुशल जन्म करवाना थी। स्वस्थ, सुन्दर बेटे ने जन्म लिया। इसके बाद युवती ने बताया कि वह अविवाहित है। कुछ ज्यादा पूछने पर वह रोने लगती।

अब सवाल ये था कि बच्चे का पालन-पोषण कैसे हो? अमूमन निस्संतान दम्पति ऐसे डॉक्टर्स के सम्पर्क में रहते हैं, ताकि किसी अनचाहे बच्चे के जन्म के बाद वे उसे डायरेक्ट अस्पताल से ही गोद ले सकें। आमतौर पर न तो लोग और न ही डॉक्टर्स ये जानते हैं कि बच्चे के एडॉप्शन के लिए भी एक कानूनी प्रक्रिया का पालना करना होता, जो कारा (CARA) के जरिए होती है। या फिर ऐसे भी लोग होते हैं, जो CARA की लंबी प्रक्रिया से उकता चुके होते हैं और किसी भी तरह से बच्चे को पाने के लिए लालायित रहते हैं। वे ये भी नहीं जानते कि ऐसा करके वे अनजाने में एक गंभीर अपराध के दोषी हो जाते हैं।

इन डॉक्टर के पास भी ऐसे लोगों ने अवश्य सम्पर्क किया होगा, लेकिन डॉक्टर ने समझदारी का परिचय दिया और अपनी एक परिचित को फोन कर नर्सिंग होम बुला लिया। उन्हें इतना मालूम था कि उनकी परिचित बच्चों के हित में काम करती है। सौभाग्य से ये महिला CWC यानी बाल कल्याण समिति से जुड़ीं थीं। शिशु की मां और नाना-नानी की सहमति से सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के तहत बच्चे को सरकार की सुपुर्दगी में ले लिया गया।

बच्चे के पिता के बारे में पूछने पर लड़की या उसके परिजन कुछ नहीं बताना चाहते थे, इसलिए बहुत जोर भी नहीं दिया गया। जरूरी ये था कि एक मासूम जीवन को सहेज लिया जाए, जिसे डॉक्टर की समझदारी से अंजाम तक पहुंचाना मुमकिन हुआ।

ये पूरा वाकया पिछले दिनों हरियाणा के एक जिले में घटित हुआ। पालोना को इसकी जानकारी रोहतक जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड सदस्य से मिली। ये एक सुखद घटना थी।

बच्चों के “सेफ सरेंडर” व “सेफ एडॉप्शन” पर अवेयरनेस और सेंसिटाइजेशन के लिए इस तरह की सुखद घटनाओं का सामने आना जरूरी है।

*** याद रखें***

किसी भी कारण से यदि कोई व्यक्ति अपने शिशु को पालने में समर्थ नहीं है तो वह उसे सेफ_सरेंडर पॉलिसी के तहत सरकार को सौंप सकता है। इसके लिए वह चाइल्ड लाइन से टॉल फ्री नम्बर 1098 पर या अपने जिले की बाल कल्याण समिति (CWC) से सम्पर्क कर सकता है।

ज्यादा जानकारी व मदद के लिए पालोना से 9798454321 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

बच्चे को जन्म दिया है तो उसके लिए जीवन चुनिए, मौत नहीं।