शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग पर ग्राम पंचायतों को जागरुक करने के उद्देश्य से साझा संकल्प-साझी सुरक्षा प्रोजेक्ट की पहली कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका आयोजन मंगलवार, 05 मार्च 2024 को झारखँड के रांची जिले में स्थित नामकुम ब्लॉक के लाल खटंगा ग्राम पंचायत भवन में किया गया।
पालोना और ऊर्जा एरोहैड ने मिलकर इस कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में नामकुम ब्लॉक की करीब 15 पंचायतों के मुखियाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पत्रकार व पालोना की संस्थापक मोनिका आर्य ने कहा कि नवजात शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए हम सभी को साथ मिलकर लड़ना होगा। हमें घटना को होने से रोकना होगा और ये तभी संभव है, जब हम इसके तमाम पहलुओं से अवगत हों और इसे रोकने के लिए कृत संकल्प भी।
इसी दिशा में काम करते हुए पालोना इस वर्कशॉप के माध्यम से एक नई पहल करने जा रहा है। साझा संकल्प-साझी सुरक्षा नामक ये प्रोजेक्ट एडवोकेसी वर्कशॉप्स की सीरीज पर आधारित होगा, जिसका मुख्य फोकस ग्राम पंचायतों पर होगा। इसके लिए पालोना ने ऊर्जा एरोहैड से हाथ मिलाया है।
उन्होंने शिशु हत्या जैसे जघन्य अपराध पर विस्तार से प्रकाश डाला। इससे जुड़े आंकड़ों के जरिए उन्होंने मुद्दे की भयावहता उजागर की। लगातार हो रही इन घटनाओं को कैसे रोका जाए, इसे रोकने को लेकर किस प्रकार के कदम उठाए जाने चाहिएं, इस बारे में भी उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित मुखियागणों को अवगत कराया और इस अपराध को रोकने में पंचायत प्रमुखों की भूमिका पर जोर दिया। एक छोटी फ़िल्म भी दिखाई गई, जिसके जिसमें यह बताया गया था कि अगर किसी को अपने बच्चे का परित्याग करना ही है तो सुरक्षित परित्याग कैसे करें?
वहीं, ऊर्जा एरोहैड की निदेशिका ऋचा चौधरी ने कहा कि संविधान की 11 अनुसूची में पंचायतों को 29 विषयों पर कार्य करना है। संविधान की धारा 243G के तहत उन्हें अपने क्षेत्र में विकास की पूरी स्वतंत्रता भी है। 29 विषयों में शिशु महिला विकास भी एक अहम विषय है। पंचायतों में बच्चों के अधिकार, बच्चों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने के लिए जान प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत जरूरी है। उन्होंने बताया कि किसी भी प्रोजेक्ट को करने के लिए हमें गांव के सबसे छोटे टोले तक जाना पड़ेगा। बिना वहां तक जाए बिना किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक करना मुश्किल है।
बच्चों की सुरक्षा के अंर्तगत ही नवजात शिशुओं का असुरक्षित परित्याग भी आता है। झारखंड में ये एक गंभीर विषय है। ऐसी घटनाओं की संख्या कुछ दिनों से ज्यादा हो रही है। इसकी रोकथाम के लिए जनप्रतिनिधियों का जागरूक होना जरूरी है। अगर ऐसी कोई घटना पंचायत में घटती है तो जनप्रतिनिधि होने के नाते उनकी क्या जिम्मेदारी है एवं क्या प्रक्रिया है, ये जानना उनके लिए जरूरी है। इस उन्मुखीकरण में हमारा यही प्रयास है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रांची सीडब्लूसी की सदस्य अरुणा कुमारी ने सरकार की विभिन्न योजनाओं, जैसे एडॉप्शन, फॉस्टर और स्पॉंसरशिप केयर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने उपस्थितजन को जेजे एक्ट, कारा, सा (स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी) आदि के बारे में भी जानकारी दी।
वहीं, रामगढ़ सीडब्लूसी सदस्य एडवोकेट आरती वर्मा ने सेफ सरेंडर पॉलिसी और उसकी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए केस स्टडीज भी शेयर की। उन्होंने बताया कि न जाने कितने दम्पति हैं, जिन्हें बच्चों की बहुत ज़रूरत है। अगर हम परित्यक्त बच्चों को बचा लें तो इन दम्पतियों की गोद भर सकती है ।
बाल कल्याण समिति से जुड़ी दोनों सदस्यों ने बच्चों से जुड़े कुछ अन्य मुद्दों जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, बाल यौन शोषण पर भी संक्षिप्त चर्चा की। साथ ही मुखियागणों को भरोसा दिलाया कि बच्चों के संदर्भ में सीडब्लूसी के सपोर्ट की जब भी और जहां भी जरूरत होगी, दोनों सदस्य उन्हें तैयार मिलेंगी।
कार्यक्रम के अंत में आशीष कुजारा मेमोरियल ट्रस्ट की सचिव संगीता कुजारा टाक ने उपस्थित सभी लोगों को संकल्प दिलवाया कि पंचायत के मुखियागण शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएंगे। वे समाज में जागरूकता फैलाने, लोगों को अपने अबोध शिशु की सुरक्षा हेतु प्रोत्साहित करने और पुलिस के जरिए कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान करेंगे।
कार्यशाला में लाल खटंगा पंचायत की मुखिया पुष्पा तिर्की, लाली पंचायत की जीरेन टोपनो, आरा की नीता कच्छप, डुंगरी से जीतू कच्छप, टाटी ईस्ट से कृष्णा पाहन, माहिलोंग से संदीप तिर्की, मास्टर ट्रेनर प्रमोद ठाकुर आदि ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम के आयोजन में लाल खटंगा पंचायत के पूर्व मुखिया श्री रीतेश कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। साथ ही प्रोजेश दास, राखी, संजय मिश्रा ने भी इसे सफल बनाने में उपयोगी भूमिका निभाई।